Baba Kinaram Ki kahani part 9 | "Makka Madina Ki Yatra & Jinawa Baba Ka Sath Mein Ramgarh mein Agman"

 

बाबा किनाराम जी की मक्का मदिना के यात्रा की कहानी जिनवा बाबा से मिलन और उनकी समाधि


बाबा किनारम अपनी यात्रा के समय एक बार मक्का मदिना की भी यात्रा की थी। ये बात बहुत लोगो को पता नहीं था लेकिन रामगढ़ मे उनकी समाधि ये बताने के लिए सच है। रामगढ़ के लोग इस बात से पूरी तरह परिचित है कि बाबा किनारम जी ने मक्का और मदिना कि यात्रा कि थी।


जिनवा बाबा से मिलन कि कहानी बड़ी रोचक है। किनारम बाबा मक्का कि यात्रा मे जब वह थे तो रात के समय वो किसी मंदिर के सामने सो गए। उस मस्जिद के जो भी पुजारी(मोलवी साहब) थे उन्होने माना किया के मस्जिद के द्वार के सामने न सोवे काही और जाके सो जाए तो बाबा किनारम ने कहा कि वो बहुत थक गए है कृपया करेक वही उन्हे हटा दे। इसपर मोलवी साहब को गुस्सा आ गया और उन्होने किनारम बाबा के पैर को पकड़ को एक तरफ हटा दिया तो क्या देखा कि मस्जिद भी उसी दिशा मे घूम गयी फिट उन्होने उन्हे दुशरी दिशा मे घूमा दिया तो मस्जिद फिर उसी दिशा मे घूम गयी।

kinaram baba


ये सब देखने पर मोलवी साहब को समझ मे आ गया कि ये आदमी कोई आम आदमी नहीं है। उसके बाद मोलवी साहब किनारम बाबा के साथ ही चले आए और रामगढ़ मे ही जीवन भरे रहे और रामगढ़ मे ही उनकी समाधि स्थित है। जिनवा बाबा कि समाधि बाबा किनाराम के पोखरे के पास स्थित है जहा हिन्दू और मुस्लिम समान भाव से आते है। बाबा किनाराम बाबा हिन्दू और मुस्लिम एकता के सूत्रपात थे। वो जितना हिन्दुवों को प्रिय है उतने ही मुस्लिमो को प्रिय है।

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