Krin Kund ke Talab Ki Kahani
क्रीं कुण्ड को शक्तिपात:- करुणा-ममता के वशीभूत होकर अपनी आध्यात्मिक शक्तियों से विधि के विधान को भी बदल देने वाले शिव-स्वरुप बाबा कीनाराम जी का जीवन चरित्र ऐसी अनगिनत घटनाओं का साक्षी रहा है। इन्हीं घटनाओं में से एक के अंतर्गत — “क्री कुण्ड” पर एक विधवा औरत अपने मरणासत्र एक मात्र पुत्र को महाराज श्री के चरणों पर डाल बिलख कर रोने लगी और अपने बच्चे के स्वस्थ हो जाने की प्रार्थना करने लगी । महिला के आंसुओं को देखकर अकरुणा के वशीभूत होकर महाराज श्री बाबा कीनाराम जी ने मंत्र पढ़ते हुए चावल के कुछ दाने को ‘क्रीं-कुण्ड’ में डाला और उस दुखी महिला से कहा “जा इसी में बच्चे को नहला दे” । महिला ने ऐसा ही किया और उसका पुत्र स्वस्थ हो गया । उसी वक़्त बाबा कीनाराम जी ने आशीर्वाद दिया कि– आज से जो भी इस कुण्ड में मंगलवार और रविवार को कुल मिलाकर 5 बार स्नान करेगा वो अपनी व्यथा से मुक्त होता रहेगा तथा जब तक काशी में गंगा गंगा रहेगी तब तक यह कुण्ड भी रहेगा । इतिहास साक्षी है कि तब से लेकर आज तक लाखों लोग अपनी व्यथा को दूर करने हेतु यहां कुण्ड में स्नान करने के लिए दूर-दूर से आते हैं।
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