Baba Kinaram Ka Grih Tyag Ki Kahani
गृह त्याग और बाबा शिवादास से सत्संग:- पत्नी की मृत्यु के बाद बाल कीना के माता-पिता भी शिवलोक गमन कर गए । जन्म से ही सिद्ध बाल कीना के लिए वैराग्य और अध्यात्म की राह अब आसान थी । बाल कीना ने घर छोड़ दिया और निकल पड़े अपने आध्यात्मिक सफ़र पर। अपने सफ़र का पहला पहला ठहराव, बालक कीना ने किया , उत्तर-प्रदेश के गाजीपुर जिले में स्थित एक गृहस्थ साधु बाबा शिवादास के यहां ।
Maa Ganga Dwara Kinaram Baba ka Charan Sparsh
Baba Shivadas Dwara Kinaram Baba Ki Pariksha
बाबा शिवादास के यहां ठहरने के दौरान बालक कीना और बाबा शिवादास का सत्संग होने लगा। लेकिन कुछ दिन बीते ही थे कि बाबा शिवादास को ये आभास हो गया कि जिन बाल कीना को वो बालक समझ रहे हैं वो कोई आम वैरागी नहीं, बल्कि कोई अवतारी महापुरुष हैं । अपनी इस अवधारणा को पुष्ट करने के लिए उन्होंने बालक कीना का अवतारी स्वरुप देखना चाहा । ऐसे में एक दिन वो बाल कीना के साथ गंगा स्नान को चले , लेकिन रास्ते में बहाना बनाकर अपना सभी सामान बालक कीना को सौंप कर शौच के बहाने झाड़ियो में छिपकर देखने लगे कि कैसा है इस अवतारी बालक का अवतार । बालक कीना जैसे जैसे गंगा के पास जाने लगे , गंगा व्याकुल होकर तेजी से बाल कीना की ओर बढ़ने लगीं और बाल कीना के चरण को स्पर्श कर शान्त हो गईं ।
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